रविवार, 30 सितंबर 2012

आईने सा

आईने सा दोस्त कहाँ,
जो मुँह पर सच बोलता हो ?
आईने सा जौहरी कहाँ,
जो आदमी का वज़ूद तोलता हो ?
आईने सा मुखबिर कहाँ,
जो मन के राज़ खोलता हो ?
और आईने सा उस्ताद कहाँ,
जो आँखों के पर्दे टटोलता हो ?
- अक्षत डबराल

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