गुरुवार, 16 अगस्त 2012

मुझे पारस बनना है!

हर चीज़ को छू सोना कर दूँ,
खुद में इतना साहस भरना है|
भसम लगाकर मेहनत की,
मुझे पारस बनना है!
मेरा काम ही परिचय बने,
नाम का क्या करना है?
अब और नहीं उद्देश्य कोई,
मुझे पारस बनना है!
समय,प्रारब्ध के वार सहूँ,
मैं उफ़ न एक बार कहूँ|
मुझे खुद का आदर्श बनना है,
मुझे पारस बनना है!
-अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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