सोमवार, 24 मई 2010

उस चीज़ को घर कहते हैं ...

जिस दुनिया में ,
तन नहीं मन रहते हैं |
जिस जगह आप,
आप बनके रहते हैं |
उस चीज़ को घर कहते हैं |

सामान से नहीं ,
ऐशो आराम से नहीं |
जहां बस साथ होने से ,
ख़ुशी के दरिये बहते हैं |
उस चीज़ को घर कहते हैं |

जिस छाँव को पाने को,
इंसान भागे फिरते हैं |
दूर होकर ही पता लगता है ,
किस चीज़ को घर कहते हैं ....

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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