बुधवार, 19 अगस्त 2009

हम तुम, एक तितली का जोड़ा |

तुम हम , हम तुम,
एक तितली का जोड़ा |
कभी थोड़ी तकरार ,
कभी प्यार थोड़ा थोड़ा |

छोटी सी ज़िन्दगी ,
छोटा ही जहाँ हमारा |
रस पीना , मस्त जीना ,
बस यही काम हमारा |

हमारे संग को ,
जो कभी नज़र लग जाए |
हम तुम जो कभी ,
अलग हो जाएँ |

यादों की गजलें ,
जो साथ साथ लिखी थीं |
उनको न कर देना कोरा |


कोई पाक किताब बनाकर उनको ,
सुनहरी जिल्त देना ओढा |
कोई पढ़ेगा , याद करेगा |
कभी था , एक तितली का जोड़ा |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें