बुधवार, 27 मई 2009

तलाश है

जो शायद दूर है कहीं ,
या मेरे आस पास है |
महका दे मेरी ज़िन्दगी ,
उस अदद ग़ज़ल की तलाश है |

बदल बदल कर लफ्जों को ,
उसको बयाँ करता हूँ |
हरेक शक्ल में उसकी ,
परछाई ढूँढा करता हूँ |

उसकी अदा, अंदाजों को ,
जी भर देखना चाहता हूँ |
उस नगमे, संगीत को ,
सहेजकर रखना चाहता हूँ |

मिलेगी कभी न कभी ,
इसका मुझे एहसास है |
ढूंढो तो खुदा भी मिलते हैं ,
मुझे तो बस, एक ग़ज़ल की तलाश है |

अक्षत डबराल
"निःशब्द"

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